Thursday, July 23, 2015

"यो यो" 🎼 (तंज )

न ये चांद होगा, न तारे रहेंगे...
कहीं दूर जब दिन ढल जाए...
ये धरती, ये नदिया,ये रैना और तुम...
अरे! आप भी ना बस! मैं कोई बेढब सी अंताक्षरी नहीं खेल रही। बात तो सुनो पहले।
मैंने जैसे ही एफ एम चलाया, उसने एक लेटेस्ट गाना सुनाया :-
डी.जे. वाले 🎶
अभी गाना का अंतरा खत्म हुआ ही था कि जो आवाज हमें सुनाई दी हम जान गए, गई भैंस पानी में! इन्होंने मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे कह रहे हों -सुनो सुनो, और सुनो!
पहला स्टेंजा खत्म होते होते उनकी सारी बातें सच हो गई। मैंने कहा -
जाने भी दो, आज की पीढ़ी है। जब से आँखें खोली होगी बच्चे ने देखा ही यही होगा।हर शाम पापा, काका और पडोस के ताऊ बैठ कर जो महफिल जमाते होंगे कि...आए दिन पार्टी शार्टी, दारू शारू, बोटी शोटी...
घर में जब भी गैदरिंग हुई, एक उम्र पार सब मुंडया नू एक एक कर थोड़ी देर के लिए गायब होते देखा है इसने। और लौटते ही उसी महक से भभकते भी।
बच्चे - गीली मिट्टी। जल्दी सीख गया।
हनी ने कभी मून तो देख्या सी नहीं। शाम होते ही Axe में नहा कर लो राईज पहने बेब को 350 cc बाइक पर बैठा कर मिडटाउन के हाई राइजेस के बीच उड़ते हुए सीधे डांस फ्लोर पर लैंड करते हैं। किसी आंटी की दखलअंदाजी इनके घर क्या कुणबे ही में पसंद नहीं की जाती।
पुलिस को हैंडल करना इनके काका के बांए हाथ की चिटकी उंगली का खेल रहा है। सी एम पावर और शैम्पेन शावर तो घर आंगन की बात है। अब इसमें मा दे लाडले का क्या कसूर अगर उसकी स्लेट पर से ही बेबी,बोतल, पार्टी, पुलिस,पावर सीखा है तो! माँ के हाथ चाहे कितने ही बर्तन झाडू दिखता हो, मंदिर की घंटी भी मगर प्ओ के हाथ जो गिलास दिखता है, यह बस उसी को सीखता है, याद रखता है। बदलते समय के समाज की देन है, बरदाश्त तो करना ही पड़ेगा। और आए दिन घर बाहर बड्डे पाट्टी हो या शादी व्याह, अब शोर शराबा तो इंही कानफोडू गानों का होगा। क्या करें, अब नाचने के लिए पांव भी तो इंही धुनो पर उठते हैं।
आपको क्या बताऊँ, पिछले रविवार दोपहर को जब मैं कार धो रही थी कि हमारे पड़ोसी हनी सिंह की औलाद अंगड़ाई जम्हाई लेता आया और बोला - ओए होए आंटी, की गल है! आज तो तुसी भी महक रहे हो, सेटरडे नाइट लेट नाइट पार्टी शार्टी में पेग शेग लगाए हो! हैं, एं!
ओए खोत्ए चुप्प कर! ए तो पसीने दी बू है।
------------------------------------- मुखर!

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