Tuesday, February 12, 2013

'मैं गुलाब और बुलबुल "


5 comments:

सुधीर कुमार सोनी said...

रचना लाजवाब है

कैलाश नीहारिका said...

कविता (काव्य ) की excel power सहित बहुत सधे ढंग से कही गई बात। … मारक है !

Mukhar said...

आभार सुधीर जी. अच्छा लगता है जब मेरी रचना सिर्फ मैं ही नहीं पढ़ रही होती हूँ :)

Mukhar said...

कैलाश निहारिका जी , बहुत बहुत धन्यवाद् आप मेरे ब्लॉग पर आई और मेरी रचना पढ़ी !

Unknown said...

very impressive