वृहद् हिंदुस्तान
भारत पाकिस्तान हो गया।
भारतीय भी सिख ईसाई,
हिंदू मुसलमान हो गया।
हिंदू भी बटे हैं -
जाट, राजपूत, दलित,ब्राह्मण...
शहर, कस्बा, गांव, गली, मुहल्ला...
कुर्मी, चमार, गौड़, शारश्वत...
गोत्र, जात, ठिकाना हो गया।
चारदीवारी भीतर भी,
घर परिवार के अंदर ही,
कोई छोटा कोई बड़ा हो गया।
संतान भी बेटी बहू पराई,
बेटा कुल दीप हो गया!
बेटों में भी लड़ाई
दुकान मेरी, मकान तेरा,
माँ तेरी, बाप मेरा हो गया!
हे ईश्वर! या अल्लाह!!
देख तेरा इंसान क्या हो गया!
जुबां और बुद्धि के साथ भी
बिना सींग पूंछ का जानवर हो गया।
शाख शाख, पात पात...
जगद्गुरु बोधी वृक्ष बिखर गया!
तिलक तावीज सिरहाने दबा,
बाहर आओ!
आज हम सब एक हों जाएं!
अरे कोई है sss!
कोई है क्या sss!!
जी करता है...
किसी इंसान से आज गले मिल आएं!
------------------------- मुखर! (19 नवंबर 2015)
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