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नॉएडा में फिर दुराचार
कल देर रात डिस्को से लौटते हुए अपने एक
दोस्त से 5 लड़कियों ने सामूहिक दुराचार किया . और छत - विछत हाल
में द्वारका से दूर एक पार्क के पीछे बेहोशी की हालत में पटक
गये . सुबह सैर पर आये लोगों ने पुलिस को इत्तिला दी . छान
बीन में पाया गया की वह लड़का उन लड़कियों का कॉलेज फ्रेंड था
और डिस्को में दोस्तों के साथ शराब भी पी थी . पुलिस ने माता -
पिता को हिदायत देते हुए उसे घर ले जाने को कहा की अपने
लड़के को संभाले , यों देर रात घर से बहार निकलना अच्छी बात नहीं .
जब हमारे संवादाता ने पूछा की जांच कहाँ तक पहुंची , पुलिस
महानिदेशक ने कहा की हमने लड़के के बारे में पता किया है .
कालोनी वाले कहते हैं की वह अकसर बनियान में बालकोनी में खड़ा
दिखता था . आस पास मार्केट भी अकसर बरमूडा या शोट्स में ही निकल
जाता था . अब ऐसे कपडे लड़के पहनेंगे तो ऐसी ही घटनाएं होंगी .
हम तो कालेजो में निर्देश जारी करने वाले हैं . कोई भी लड़का
जींस टी -शर्ट में नहीं आये . टाइट कपडे पहन कर अपने 6-8 abs दिखायेंगे तो और क्या आशा करते हैं क्या होगा ?
(महानिदेशक सा'ब के टन से लग रहा था की संवाददाता को ही दन्त रहे हैं. संवाददाता ने नोटिस किया उसने जींस पहनी हुई थी!!
Uniform पहनना ही सही है . कुरता पजामा या फिर ज्यादा से ज्यादा धोती . सर पे भी टोपी compulsory कर देना चाहिए . जिसे देखो वोही जस्टिन बीबर बना फिरता है .
संवादाता द्वारा सिक्यूरिटी पर लिए गए कदम पर
पूछने उन्होंने कहा ‘अब हम देखेंगे की किसी भी डिस्को थेक या
बार में रात 9 बजे के बाद कोई लड़का न तो जॉब करे न ही डांस
पार्टी में involve हो . थोड़े
से पैसों के लिए अपने इज्ज़त और जान से खिलवाड़ करने का क्या
औचित्य ? बर्थ डे पार्टी वगरह के लिए पिता अपने बच्चों के लिए
दिन के समय या अपने घर में पार्टी आयोजित कर सकते हैं .
आज कल ये जो rash driving हो रही है उसके बारे में आप क्या कहेंगे . ‘ आज कल माएं अपनी बच्चियों को कम उम्र ही में car दे
देती हैं . हालाँकि हमने जब भी ट्राफिक नियम में उन्हें पकड़ा
है , मोटी रकम ली है चालान में . मगर पिता माता का भी तो फर्ज
बनता है न की बच्चों की जिद समय से पहले न पूरी करें . नियम
कानून का ध्यान रखे . काली फिल्म चढ़ी कार drive
करती लड़कियों द्वारा जुर्म करने के वारदातें बढ़ गयी हैं . सही
तो यही होगा की समाज और खास कर पिता अपने लडको को संस्कार दे .
यों देर रात लड़कियों संग घूमना , डिस्को जाना और शराब पीना ,
डोले शोले दिखाते उकसाने वाले कपडे पहनना कोई अच्छी बात थोड़े ही
है ?
पुलिस का कहना है की security तो
लगभग अच्छी ही है . बस हादसे में शिकार लड़के के चरित्र पर ऊँगली
उठ रही है . वो लडकियां कौन थी उसका अभी तक कोई सुराग नहीं
मिल पाया है . कालोनी वासी कहते हैं की ऐसी वारदातों से वे
दहशत में जीने को मजबूर हैं . शराब , cigarette गुटखा दुकानों को अब सार्वजनिक स्थानों से दूर और पास ही अब मर्द पुलिस की गस्त लगाने की मांग उठ रही है . colleges और call centers पर दबाव है की लड़कों के लिए अलग से परिवहन की व्यवस्था की जाये . यहाँ तक की लड़कों की night शिफ्ट न लगाने की मांग भी उठी है .
सवाल ये है की क्या पूरे कपडे पहनने मात्र
से या मर्द पुलिस लगाने से ये दुर्घटनाएं ख़त्म हो जाएँगी ?
पुरुष आयोग के अध्यक्ष का कहना है की ये सब समाज और पुलिस व
सरकार अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ने का सस्ता रास्ता ढून्ढ रहे
हैं . समाज को अपना नजरिया बदलना होगा . लड़कों को भी अपनी आजादी
अच्छी लगती है . आखिर कब तक यह आधी दुनिया घुट घुट कर जीती
रहेगी ?.....
अरे उठो भी, चाय ठंडी हो रही है. तुम भी क्या अखबार पढ़ते पढ़ते सो जाती हो !....
ओह्ह ! तो मैं नींद में भी अखबार ही पढ़ रही थी???
2 comments:
शब्द संयोजन सुंदर है, लड़कियों द्वारा दुराचार, क्या यह व्यंग है अथवा सत्य घटना है।
Dhanyawad Ooma Ji. hai to yah vyang hi, aur kabhi satya ho jaye to ashcharya bhi nahi...
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